हिंदी के जाने माने साहित्यकार नामवीर सिंह का मंगलवार देर रात निधन हो गया है। वह 93 साल के थे। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे और एम्स में भर्ती थे। जानकारी के मुताबिक उन्होंने लगभग 11:50 बजे अंतिम सांस ली।
उनकी मौत के बाद वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने लिखा कि हिंदी में फिर सन्नाटे की खबर। उन्होंने लिखा कि नायाब आलोचक, साहित्य में दूसरी परंपरा के अन्वेषी डॉ. नामवर सिंह का निधन हो गया है।
उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि उनका अंतिम संस्कार बुधवार को अपराह्न सम्भवतः लोदी दाहगृह में होगा। उन्होंने लिखा कि 26 जुलाई को वे 93 वर्ष के हो जाते। उन्होंने अच्छा जीवन जिया, बड़ा जीवन पाया।
बता दें कि नामवर सिंह बनारस का जन्म (वर्तमान में चंदौली जिला) के एक गांव जीयनपुर में हुआ था। उन्होंने हिन्दी साहित्य में एमए व पीएचडी करने के पश्चात् काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अध्यापन किया, लेकिन 1959 में चकिया चन्दौली के लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार रूप में चुनाव लड़ने तथा असफल होने के बाद उन्हें बीएचयू छोड़ना पड़ा।
बीएचयू के बाद डॉ. नामवर सिंह ने क्रमश: सागर विश्वविद्यालय और जोधपुर विश्वविद्यालय में भी अध्यापन किया। लेकिन बाद में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में उन्होंने काफी समय तक अध्यापन कार्य किया। अवकाश प्राप्त करने के बाद भी वे उसी विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केंद्र में इमेरिट्स प्रोफेसर रहे। वे हिन्दी के अतिरिक्त उर्दू, एवं संस्कृत भाषा भी जानते थे।